Saturday 18 March 2017

साथ साथ जो खेले थे बचपन में 
वो सब दोस्त अब थकने लगे है
किसीका पेट निकल आया है
किसीके बाल पकने लगे है

सब पर भारी ज़िम्मेदारी है
सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है
दिनभर जो भागते दौड़ते थे
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है
उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है

किसी को लोन की फ़िक्र है
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है

फुर्सत की सब को कमी है
आँखों में अजीब सी नमीं है

कल जो प्यार के ख़त लिखते थे
आज बीमे के फार्म भरने में लगे है

उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है

देख कर पुरानी तस्वीरें
आज जी भर आता है

क्या अजीब शै है ये वक़्त भी
किस तरहा ये गुज़र जाता है
कल का जवान दोस्त मेरा
आज अधेड़ नज़र आता है

कल के ख़्वाब सजाते थे जो कभी 
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे है 
उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है

😌😌😊😊😊

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