Everyday India
Friday, 20 October 2017
"इलाईची के दानों सा,
मुक़द्दर है अपना...!
महक उतनी ही बिखरती गई ...
जितने पिसते गए"..!
कभी अपने लिये
कभी अपनों के लिये...!!!!
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