Friday 20 October 2017

आम आदमी नोटबंदी से परेशान है, फिर भी विमुद्रीकरण से खुश है क्योंकि

गरीब सोचता है.. धन्नासेठों की वॉट लग गयी..
नोकर सोचता है.. मालिक की वॉट लग गयी..
मरीज़ सोचता है, डॉक्टर की वॉट लग गयी..
क्लर्क सोचता है, साहब की वॉट लग गयी..
जनसेवक सोचता है, प्रशासक की वॉट लग गयी..
प्रशासक सोचता है, नेताओं की वॉट लग गयी..
और
नेता सोचता है, विपक्ष की वॉट लग गयी..
सभी दुःखी हैं, फिर भी खुश है..
दुसरो को दुःखी देखकर खुश होना मानव स्वाभाव जो है..
बाकी कालाधन बाहर आएगा या नहीं ये तो मोदी जी ही जाने..!!

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