एक छोटी सी कहानी
"एक समय की बात है एक राजा था। उसे पता चला कि उसके बगीचे में कुछ फल जहरीले हैं। अगर कोई उन फलों को खा जाए तो मर जाएगा। राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और आदेश दिया कि बाग के सभी पौधों और पेड़ों से कच्चे-पक्के सारे फल तोड़ कर लाए जाएँ। बगीचे में कोई फल शेष नहीं रहना चाहिए। जब सारे फल तोड़ कर एक मैदान में इकट्ठे कर लिए गए तो राजा ने अपने हाथियों से उनको कुचलवा कर नष्ट कर दिया। फिर दरबार में घोषणा की हमने इतिहास रच दिया, इतना कठिन निर्णय आजतक किसी राजा ने नही लिया कि अब मेरे बगीचे में कोई भी जहरीला फल नहीं है। सारे दरबारी राजा की जय जयकार करने लगे और राजा का सीना फूल कर 56 इंच जितना चौड़ा हो गया। उसी दरबार में एक ईमानदार और खुद्दार दरबारी भी था जो इस जय जयकार में शामिल नहीं हुआ. उसने मन में कहा- अरे मूर्खो, किसकी जय जयकार कर रहे हो। उस राजा की जिसे यह तक नहीं पता कि मौजूद फलों को नष्ट करने से क्या समस्या दूर हो गई। वो पेड़-पौधे तो मौजूद हैं, अगले मौसम में उनमें फिर से फल आ जाएँगे!!!"
"एक समय की बात है एक राजा था। उसे पता चला कि उसके बगीचे में कुछ फल जहरीले हैं। अगर कोई उन फलों को खा जाए तो मर जाएगा। राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और आदेश दिया कि बाग के सभी पौधों और पेड़ों से कच्चे-पक्के सारे फल तोड़ कर लाए जाएँ। बगीचे में कोई फल शेष नहीं रहना चाहिए। जब सारे फल तोड़ कर एक मैदान में इकट्ठे कर लिए गए तो राजा ने अपने हाथियों से उनको कुचलवा कर नष्ट कर दिया। फिर दरबार में घोषणा की हमने इतिहास रच दिया, इतना कठिन निर्णय आजतक किसी राजा ने नही लिया कि अब मेरे बगीचे में कोई भी जहरीला फल नहीं है। सारे दरबारी राजा की जय जयकार करने लगे और राजा का सीना फूल कर 56 इंच जितना चौड़ा हो गया। उसी दरबार में एक ईमानदार और खुद्दार दरबारी भी था जो इस जय जयकार में शामिल नहीं हुआ. उसने मन में कहा- अरे मूर्खो, किसकी जय जयकार कर रहे हो। उस राजा की जिसे यह तक नहीं पता कि मौजूद फलों को नष्ट करने से क्या समस्या दूर हो गई। वो पेड़-पौधे तो मौजूद हैं, अगले मौसम में उनमें फिर से फल आ जाएँगे!!!"
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