नवीनतम राष्ट्रगीत रचना
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हम लाये हैं जी बैंक से नक़दी निकाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
काला नहीं है धन ये हैं पैसेे हलाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
थिएटर में नहीं जाना जी कुछ रोज़ अभी और
होटल में नहीं खाना जी कुछ रोज़ अभी और
देखो ये शौक़ बन चुके जी के जंजाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
बाहर हैं एटीएम के लंबी-लंबी क़तार
पीछे खड़ा हूँ सबसे मैं रोता हूँ ज़ार-ज़ार
मोदी जी तुमने रख दिए आँसू निकाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
क़िल्लत ने कैश की मुझे मजबूर यूँ किया
जिसने भी सौ उधार दिया शुक्रिया कहा
ये भी कहा है उससे के तुम हो कमाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
छत भी सकेर ली मैंने दीवार झाड़ ली
परदे उलट के देख लिए सदरी फाड़ ली
तकिया, रज़ाई, गद्दा व गुल्लक खंगाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
हम लाये हैं जी बैंक से नक़दी निकाल के
इस कैश को ख़रचो ज़रा बेगम संभाल के
😂😂😂😂😂
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