गुरु : चाणक्य ने कहा था..
आपको एक ही दुश्मन से बार-बार युद्ध नही लड़ना चाहिए वरना आप अपने तमाम 'युद्ध कौशल' उसे सिखा देंगे।
पति पत्नी के संबंधो में भी यही होता है। दोनों योद्धा जिन्दगी भर लड़ते-लड़ते एक दुसरे के वारों से इतना परिचित हो जाते हैं कि युद्ध जिन्दगी भर चलता रहता है पर हल कुछ निकलता नही।
शिष्य : तो फिर गुरुजी, क्या करना चाहिए?
गुरु : *दुश्मन बदलते रहना चाहिये*।
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